प्रतिकूल मौसम के चलते गेहूं का उत्पादन अनुमान घटा, भावों में उछाल
इस बार केन्द्रीय पूल में गेहूं की खरीद लगभग 55 फीसदी कम हुई है
जयपुर, 14 जुलाई। देश में इस साल गेहूं का उत्पादन अनुमान प्रतिकूल मौसम के चलते घट गया है। जानकार बताते हैं कि मार्च-अप्रैल माह में गेहूं पकता है। उस समय तापमान 30 डिग्री से ज्यादा नहीं होना चाहिए, जबकि इस वर्ष तापमान 37-38 डिग्री हो गया था। यही कारण रहा कि गेहूं का उत्पादन अनुमान 1113 लाख टन से घटकर 1050 लाख टन के आसपास रह गया है। दूसरी ओर नए विपणन वर्ष में गेहूं का निर्यात युद्ध स्तर पर चलने से मंडियों में गेहूं के भाव उछलकर 2300 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास पहुंच गए थे। जबकि सरकारी खरीद हेतु गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2115 रुपए प्रति क्विंटल का था। यही कारण है कि सरकार को गेहूं बेचने की बजाए किसानों ने बड़ी कंपनियों को सीधे ही गेहूं बेच दिया। लिहाजा गेहूं की सरकारी खरीद घटकर 189 लाख टन के करीब रह गई। जबकि पिछले विपणन वर्ष के तहत सरकार ने 433 लाख टन गेहूं की खरीद की थी। कुल मिलाकर इस बार केन्द्रीय पूल में गेहूं की खरीद लगभग 55 फीसदी कम हुई है। इस बीच आवक कम होने से जयपुर मंडी में गेहूं 20 से 25 रुपए उछल गया है। थोक बाजारों में गुरुवार को मिल डिलीवरी दड़ा गेहूं के भाव 2225 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास पहुंच गए। मित्तल दलिया के निर्माता मुकुल मित्तल ने बताया कि जीएसटी काउंसिल अन ब्रांडेड गेहूं, आटा, मैदा एवं सूजी पर भी 5 फीसदी जीएसटी लगाने की कार्रवाई कर रही है। यदि ऐसा हुआ तो गेहूं और महंगा हो जाएगा। ध्यान रहे अब तक डेढ़ माह में 64 लाख टन गेहूं के निर्यात सौदे हो गए हैं। केन्द्र सरकार मिस्त्र के जरूरत मंद देशों को गेहूं के निर्यात पर विचार कर रही है। इन परिस्थितियों में आगे चलकर गेहूं की कीमतें तेज ही बनी रहेंगी।