बिकवाली दबाव से सरसों सीड 75 रुपए टूटी
सरकार ने एमएसपी पर खरीदी मात्र 6 लाख टन सरसों
जयपुर, 30 मई। स्टॉकिस्टों की बिकवाली से सरसों सीड में दो-तीन दिन के दौरान 75 रुपए निकल गए। सरसों मिल डिलीवरी 42 प्रतिशत तेल कंडीशन के भाव बुधवार को यहां 4000 रुपए प्रति क्विंटल पर आ थमे। सरसों खल में गिरावट आने से भी सीड में नरमी को बल मिला। सरसों खल प्लांट 1750 रुपए प्रति क्विंटल पर मंदी बोली जा रही थी। उधर प्रदेश की मंडियों में सरसों सीड एमएसपी से करीब 550 रुपए प्रति क्विंटल नीचे बिक रही है। जबकि सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4000 रुपए प्रति क्विंटल है। जानकारों का कहना है कि सरकार ने अभी तक मात्र 6 लाख टन सरसों की एमएसपी पर खरीद की है। मस्टर्ड ऑयल प्रॉड्यूशर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (मोपा) के नेशनल प्रेसिडेंट बाबूलाल डाटा ने बताया कि सरसों की कीमतें एमएसपी से कम होने से आने वाले साल में सरसों की बिजाई घटने के संकेत हैं। देश में इस वर्ष 72 लाख टन सरसों का उत्पादन हुआ है। इसमें चालू वर्ष में 16फरवरी से अब तक 30 लाख टन सरसों मंडियों में आ चुकी है। किसानों के पास लगभग 42 लाख टन सरसों का स्टॉक पड़ा हुआ है। सरकार ने एमएसपी पर सरसों खरीद के उचित उपाय नहीं किए तो अगले सीजन में सरसों की बिजाई निश्चित रूप से कम होगी।
मोपा के संयुक्त सचिव अनिल चतर के अनुसार वर्तमान में विदेशों से भारी मात्रा में तेलों का आयात हो रहा है। इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाकर इसे रोकना होगा। तभी हम तिलहन उत्पादन में आत्म निर्भर बन सकेंगे। उन्होंने कहा कि अकेले राजस्थान में दो हजार से ज्यादा सरसों तेल मिलें हैं। चतर ने कहा कि लोकल इंडस्ट्रीज को चलाने के लिए तेलों के बढ़ते आयात पर ब्रेक लगाना जरूरी है। सरकार के इस कदम से लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा तथा राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी। मोपा ने सरकार से मांग की है कि जिस प्रकार सरकार ने चीनी मिलों को जीवित रखने के लिए इन्सेंटिव दिया है, उसी प्रकार घाटे में चल रही सरसों तेल मिलों को चलाने के लिए उचित इन्सेंटिव दिया जाए।