सीरिया में नई फसल शुरू, भारतीय जीरा 10 रुपए किलो टूटा
आवक घटने से लंबी मंदी के आसार नहीं
जयपुर, 16 जून। सीरिया में नए जीरे की फसल शुरू हो गई है। हालांकि भारत के मुकाबले सीरिया के जीरे की क्वालिटी कमजोर होती है, लेकिन सीरिया में ऑर्गेनिक जीरा पैदा होने के कारण जापान जैसे देशों की लिवाली वहां पर बनी रहती है। वैसे भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में सीरिया का जीरा भारत के मुकाबले 150 से 200 डॉलर प्रति टन महंगा बिकता है। इसका सीधा असर भारतीय बाजारों पर दिखाई दे रहा है। यही कारण है कि बीते सप्ताह भारतीय जीरा 500 रुपए प्रति क्विंटल (5 रुपए प्रति किलो) और सस्ता हो गया। ज्ञात रहे दो-तीन सप्ताह के अंतराल में जीरे में 10 रुपए प्रति किलो निकल चुके हैं। उधर सीरिया में नया जीरा आने से भारतीय निर्यातकों की गतिविधियां सुस्त पड़ गई हैं।
श्री श्याम ओवरसीज के डायरेक्टर मोहित गर्ग कहते हैं कि इन दिनों एनसीडैक्स पर भी जीरा निरंतर टूट रहा है। लिहाजा स्टॉकिस्टों की लिवाली घटती जा रही है। फिलहाल जयपुर मंडी में बेस्ट मशीनक्लीन जीरा 188 रुपए, मीडियम 180 रुपए तथा एवरेज जीरे के भाव 172 रुपए प्रति किलो बोले जा रहे हैं। व्यापारियों का कहना है कि यद्दपि इस साल जीरे की पैदावार बहुत अच्छी हुई है, मगर मंडियों में आवक घटकर 25 फीसदी से भी कम रह गई है। गुजरात की ऊंझा व आसपास की मंडियों में डेढ़-दो माह पूर्व 40 हजार बोरी जीरा प्रतिदिन आ रहा था, जबकि वर्तमान में इसकी दैनिक आवक घटकर 10 हजार बोरी के आसपास रह गई है।
गौरतलब है कि भारत एवं सीरिया के अलावा विश्व में टर्की में भी जीरे का उत्पादन होता है। आमतौर पर टर्की एवं सीरिया में कुल 35 हजार टन जीरा पैदा होता है। पिछले कुछ माह से घरेलू बाजारों में जीरे में निर्यातकों की लिवाली घट गई है। अहमदाबाद के प्रमुख कारोबारी अश्विन नायक के अनुसार आवक घटने से जीरे में लंबी मंदी के आसार नहीं हैं।