पैदावार कम होने से काबली चना 15 रुपए प्रति किलो उछला
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भाव तेज होने से और मजबूती के आसार
जयपुर, 8 अप्रैल। काबली चने की कीमतों में इन दिनों अच्छी तेजी दर्ज की गई है। दो सप्ताह के दौरान काबली चना करीब 15 रुपए प्रति किलो महंगा हो गया है। वर्तमान में मध्य प्रदेश की उत्पादक मंडियों में लगभग 15 हजार बोरी काबली चना प्रतिदिन उतर रहा है। जयपुर की राजधानी कृषि उपज मंडी कूकरखेड़ा में ब्रांड वाइज काबली चने के भाव बढ़ाकर बोले जा रहे हैं। ब्रोकर श्याम खंडेलवाल ने बताया कि इंडो फ्रैश 93, फिफ्टी-फिफ्टी 110 तथा रॉयल चॉइस काबली चना 116 रुपए प्रति किलो के आसपास बिकने की खबर है। गौरतलब है कि 75 फीसदी काबली चने की पैदावार मध्य प्रदेश में होती है। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक एवं महाराष्ट्र आदि राज्यों में भी काबली चने का उत्पादन होता है। उत्पादक मंडियों में काबली चने का उत्पादन कम होने तथा हाजिर माल की तंगी के चलते काबली में मजबूती को बल मिल रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में काबली चने के भाव तेज होने से इसमें और तेजी के आसार व्यक्त किए जा रहे हैं। हालांकि किसी भी जिंस की सीजन में आई तेजी नुकसानदायक होती है। मगर काबली चने में इस बार प्रतिकूल खबरें आ रही हैं। खंडेलवाल ने कहा कि काबली चने की प्रति हैक्टेयर उत्पादकता में कमी से सकल उत्पादन सामान्य की तुलना में कम रहने की आशंका है।
विशेषज्ञों के मुताबिक बिजाई कम होने तथा प्रतिकूल मौसम के कारण काबली की फसल एक माह देरी से आई है। अभी काबली चने की आवक भोपाल एवं इंदौर में कम रह गई है। आंध्र प्रदेश की रायसीमा लाइन में भी काबली चना कम आ रहा है। महाराष्ट्र के अकोला एवं जलगांव में काबली की आवक अपेक्षाकृत कमजोर चल रही है। वर्ष 2019-20 में देश में 20 लाख टन काबली पैदा हुआ था। उसके बाद वर्ष 2020-21 में उत्पादन 15 लाख टन रह गया। इस बार भी 14 लाख टन से ज्यादा पैदावार का अनुमान नहीं है। पुराना स्टॉक काफी कट चुका है। नए माल का मंडियों में प्रैशर नहीं है। इन परिस्थितियों को देखते हुए काबली चने में और तेजी के संकेत बन रहे हैं।