देशी घी विक्रेताओं की अनिश्चितकालीन हड़ताल
व्यापारियों ने किया दो फीसदी किसान कल्याण सैस का विरोध
जयपुर, 6 मई। राज्य सरकार द्वारा दो फीसदी किसान कल्याण सैस लगाए जाने से प्रदेश के देशी घी व्यापारी लामबंद हो गए हैं। किसान कल्याण सैस के विरोध में घी व्यापारियों ने अनिश्चतकालीन बंद की घोषणा कर दी है। शुद्ध घी विक्रेता संघ के अध्यक्ष ललित हुंडिया तथा महामंत्री चन्द्रप्रकाश डंगायच ने बताया कि देशी घी पर पहले से ही 1.60 फीसदी मंडी सैस आरोपित है। अब दो फीसदी किसान कल्यण सैस लगने से घी पर अब 3.60 फीसदी मंडी शुल्क लग गया है। आपको बता दें राजस्थान के अलावा देश के किसी भी राज्य में देशी घी पर मंडी शुल्क नहीं है। जबकि राज्य सरकार ने पूर्व में आरोपित मंडी सैस को हटाने की बजाए 2 फीसदी सैस और लगा दिया है। ब्रोकर दिनेश जाजू ने कहा कि देशी घी पर 12 फीसदी जीएसटी, 1.60 फीसदी मंडी शुल्क और अब 2 प्रतिशत किसान कल्याण सैस मिलाकर 15.60 फीसदी टैक्स लगा दिया गया है।
गौरतलब है कि लॉकडाउन के बाद से ही राज्य का देशी घी कारोबार भारी नुकसान में चल रहा है। कीमतें लगातार घटने से व्यापारियों को असीमित घाटा उठाना पड़ रहा है। इसका मुख्य कारण है कि बल्क यानी टिनों में घी की बिक्री नहीं है। शादी-विवाह, मंदिर, धार्मिक आयोजन, होटल, रेस्टोरेंट एवं ढाबे आदि बंद होने से घी की बिक्री समाप्त हो गई है। थोड़ी बहुत डिमांड स्मॉल पैक में ही निकल रही है। उसमें भी घी के भाव घटकर काफी नीचे आ गए हैं। ऊपर से सरकार ने यह नया सैस और लगा दिया है। जाजू ने कहा कि कोरोना महामारी में व्यापारी वैसे ही अपनी जान पर खेलकर घी की आपूर्ति कर रहा है। दूसरी ओर सरकार कोई आर्थिक पैकेज दिए बिना ही टैक्स पर टैक्स लगा रही है, जो कि अनुचित है। संघ का कहना है कि सरकार जब तक किसान कल्याण सैस को नहीं हटा लेती घी का कारोबार पूरी तरह से बंद रहेगा।