राजस्थान को सरसों उत्पादक प्रदेश घोषित करने की मांग
किसानों को विशेष पैकेज दिया तो 100 लाख टन हो सकती है पैदावार
जयपुर, 24 जनवरी। राज्य सरकार ध्यान दे तो राजस्थान में सरसों का उत्पादन बढ़कर 100 लाख टन से भी अधिक हो सकता है। इस साल प्रदेश में करीब 50 लाख टन सरसों पैदावार का अनुमान है। राजस्थान ऑयल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के संयुक्त सचिव एवं प्रवक्ता डी.डी. जैन ने मुख्यमंत्री के साथ हाल ही संपन्न बजट पूर्व मीटिंग में यह जानकारी देते हुए बताया कि यदि सरकार प्रदेश को सरसों उत्पादक प्रदेश घोषित करके किसानों विशेष पैकेज देती है तो राजस्थान में सरसों की पैदावार तीन गुना यानी 100 लाख टन से भी ज्यादा हो सकती है। ध्यान रहे सरसों कम पानी में एवं कम समय में पकने वाली फसल है। जैन ने बताया कि देश में कुल खाद्य तेल खपत का करीब दो तिहाई हिस्सा आयात करना पड़ता है। जैन ने कहा कि सरसों की पैदावार बढ़ने से सरसों तेल की उपलब्धता बढ़ेगी। इसके अलावा हजारों की संख्या में नई तेल मिलों में लाखों रोजगार पैदा होंगे। राजस्थान में सरसों उद्योग को बढ़ावा देने के लिए एसोसिएशन की ओर से राज्य सरकार का अन्य बिंदुओं की ओर भी ध्यान आकर्षित किया गया, जो कि इस प्रकार हैं-
1 सरसों एवं सरसों तेल को जीएसटी से बाहर रखा जावे।
2 छोटी तेल मिलों के लिए लघु एवं मध्यम इकाईयों की श्रेणी में बिजली कनेक्शन के हिसाब से हार्सपावर में बदलाव किया जावे।
3 कृषि मंडी शुल्क एवं कृषि कल्याण सैस को समाप्त किया जाए।
4 तिलहन पर आरटीएल लाईसेंस हटाया जावे।
5 सिंगल रेलवे वैगन (पीस मील) में उपलब्ध कराये जावें।
6 विदेशी तेल एवं देशी तेल के भावों में समानता रखी जावे।
7 सरसों की खेती के लिए जीएम बीजों को मंजूरी नहीं दी जावे।
8 राजस्थान प्रदेश को तुरंत प्रभाव से सरसों उत्पादक प्रदेश घोषित किया जावे।