देश की मंडियों में सरसों की दैनिक आवक बढ़कर 9 लाख बोरी के पार
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू नहीं होने से किसानों को भारी नुकसान
जयपुर, 7 मार्च। राजस्थान सहित देश की सभी मंडियों में सरसों सीड की दैनिक आवक बढ़कर वर्तमान में 9 लाख बोरी से ऊपर निकल गई है। हालांकि एमएसपी पर सरसों की खरीद अभी प्रारंभ नहीं हुई है। सूत्रों के मुताबिक सरकार 15 मार्च के आसपास सरसों की खरीद शुरू कर सकती है। सरसों मिल डिलीवरी 42 प्रतिशत तेल कंडीशन के भाव गुरुवार को यहां 50 रुपए और उछलकर 5475 रुपए प्रति क्विंटल पहुंच गए हैं। हालांकि मंडियों में लूज सरसों के भाव 5000 रुपए प्रति क्विंटल से नीचे चल रहे हैं। जबकि सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5650 रुपए प्रति क्विंटल है। इस लिहाज से देखें तो किसानों को सरसों की बिक्री पर भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। काश्तकारों का कहना है कि सरकार को शीघ्र न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद केन्द्र शुरू कर देने चाहिए। इस बीच तेल मिलों में सरसों तेल का पड़ता नहीं लगने से उत्पादन पूरी क्षमता से शुरू नहीं हुआ है। सोयाबीन रिफाइंड सस्ता होने से सरसों तेल की उपभोक्ता मांग अपेक्षाकृत कमजोर बनी हुई है। सरसों का पिछले साल का कैरीओवर स्टॉक भी बचा हुआ है। परिणामस्वरूप सरसों सीड में लंबी तेजी के आसार फिलहाल नहीं हैं।
उधर एफसीआई के साथ-साथ राज्य सरकार ने भी इस बार गेहूं के लिए कमर कसी हुई है। राज्य सरकार ने गेहूं पर 125 रुपए प्रति क्विंटल का बोनस घोषित किया हुआ है। गेहूं की कीमतें कच्ची मंडियों में वैसे भी ज्यादा चल रही हैं। सरकार गेहूं की खरीद के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू कर चुकी है, जबकि गेहूं की एमएसपी पर खरीद 10 मार्च से शुरू होने की संभावना है। वहीं सरसों की खरीद के लिए थोड़ा टाइम लग सकता है। यूं देखा जाए तो मंडियों में सरसों की आवक गेहूं से ज्यादा हो रही है।
किसानों को बढ़ानी होगी दलहन एवं तिलहन की खेती
नीति आयोग की हाल ही जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि किसानों को शीघ्र ही गेहूं और चावल के बजाए दहलन और तिलहन की खेती बढ़ानी पड़ेगी। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2047-48 तक देश में दलहन व तिलहन की मांग उपज से ज्यादा हो जाएगी। इस अंतर को पाटने के लिए तिलहन व दलहनों का उत्पादन बढ़ाना पड़ेगा। खाद्य तेलों के मामले में भी स्थिति ऐसी ही है। वर्ष 2047-48 तक तिलहन की मांग बढ़कर 3.1 करोड़ टन हो जाएगी, जो वर्ष 2019-20 में 2.2 करोड़ टन थी।