जीरे का उत्पादन 35 फीसदी कमजोर, थोक में 235 रुपए किलो बिका
प्रसिद्ध मंडी ऊंझा में फिलहाल जीरे की दैनिक आवक 15 हजार बोरी
जयपुर, 9 मार्च। देश के उत्पादन केन्द्रों पर इस वर्ष जीरे की पैदावार पिछले साल के मुकाबले करीब 35 फीसदी कम है। यही कारण है कि इन दिनों जीरे में एकतरफा तेजी का रुख देखा जा रहा है। हालांकि ऊंचे भावों से जीरे में करेक्शन आया है। जीरे के भाव कुछ दबे हुए हैं, लेकिन फसल कमजोर होने से मंदी के आसार बिल्कुल नहीं हैं। जयपुर मंडी में बुधवार को जीरा मशीनक्लीन मीडियम 215 रुपए तथा बेस्ट मशीनक्लीन 235 रुपए प्रति किलो थोक में बिकने के समाचार हैं। जीरे की प्रसिद्ध मंडी ऊंझा में फिलहाल जीरे की दैनिक आवक 15 हजार बोरी के आसपास हो रही है, जबकि पिछले साल इन्हीं दिनों में प्रतिदिन 45 हजार बोरी जीरा मंडी में आ रहा था। जानकारों के मुताबिक इस बार जीरे की बिजाई सामान्य की अपेक्षा करीब 25 दिन की देरी से प्रारंभ हुई थी। पिछले साल जीरे की कीमतें कम होने से जीरे की बिजाई में किसानों की रुचि इस वर्ष घट गई थी। परिणामस्वरूप जीरे की बिजाई में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई। गुजरात में इस वर्ष जीरे की बिजाई 3 लाख 7 हजार हैक्टेयर में हुई है, जबकि बीते वर्ष 4 लाख 66 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में जीरा बोया गया था। बाजार में चल रही चर्चाओं के अनुसार आमतौर पर फरवरी माह के दूसरे पखवाड़े में बनने वाला जीरे की आवक का दबाव इस बार होली बाद ही बनने के आसार हैं। बहरहाल हाल ही में आई तेजी के बाद कुछ दिनों से जीरे का उठाव सुस्त पड़ने लगा है। दूसरी ओर कंटेनरों का अभाव होने के कारण ऊंझा मंडी में निर्यात मांग कमजोर बताई जा रही है। समुद्री भाड़ा भी बीते कुछ समय के दौरान बढ़ता हुआ चार-पांच गुना तक हो गया है। भारत के अलावा विश्व में टर्की एवं सीरिया भी जीरा उत्पादन के केन्द्र माने जाते हैं। जीरा उत्पादन के मामले में अब अफगानिस्तान एवं ईरान भी चुनौती देने लगे हैं।