एक माह में 45 रुपए प्रति किलो महंगी हुई अरहर दाल
भारत में अरहर का उत्पादन 54 से घटकर 32 लाख टन रह गया है
खेरुज में अरहर दाल 170 रुपए प्रति किलो पहुंची
जयपुर, 9 जून। पैदावार घटने तथा निरंतर मांग के चलते स्थानीय थोक मंडियों में अरहर दाल के भाव आसमान छूने लगे हैं। एक माह के दौरान अरहर दाल में करीब 45 रुपए प्रति किलो की मजबूती दर्ज की गई है। जयपुर मंडी में अरहर दाल के भाव शुक्रवार को थोक में 145 रुपए प्रति किलो पहुंच गए हैं। खेरुज में अरहर दाल 155 से 170 रुपए प्रति किलो तक बिकने लगी है। जानकारों का कहना है कि भारत में अरहर का उत्पादन 54 लाख टन से घटकर 32 लाख टन के आसपास रह गया है, लिहाजा आयातित अरहर पर निर्भरता बढ़ती जा रही है। इस बीच तीन माह पूर्व सरकार ने पोर्टल पर अरहर का स्टॉक अपलोड करने के निर्देश दिए थे। इस कारण अधिकतर आयातक बिक्री के हिसाब से रंगून, तंजानिया, केन्या तथा मेडागास्कर आदि देशों से सौदे करने लगे थे। इधर मंडियों एवं मिलर्स के पास भी अरहर का पर्याप्त स्टॉक नहीं है। परिणामस्वरूप अरहर दाल में लगातार तेजी का रुख देखा जा रहा है। जानकार बताते हैं कि अरहर का घरेलू उत्पादन निरंतर घटता जा रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि इसकी फसल आठ से नौ माह में होती है। आम उपभोक्ता को देशी चने की दाल 70 से 75 रुपए प्रति किलो में आसानी से उपलब्ध हो जाती है। जबकि अरहर दाल दोगुने भाव से भी ज्यादा कीमतों पर मिल रही है। ट्रेडर्स का कहना है कि सरकार को स्टॉक लिमिट लगाने की बजाए अरहर का आयात अपनी एजेंसियों के माध्यम से करके सब्सिडी देकर मिलिंग के लिए सस्ती कीमतों पर दाल मिलों को अरहर की आपूर्ति की जानी चाहिए। जिससे महंगाई को रोका जा सके। वर्तमान में दाल मिलों एवं ट्रेडर्स के लिए 2000 क्विंटल दाल रखने की स्टॉक लिमिट निर्धारत है। चूंकि व्यापारियों एवं मिलर्स के पास अरहर दाल का स्टॉक ही नहीं है, लिहाजा स्टॉक लिमिट रखने के कोई मायने नहीं हैं। इसलिए ये कहा जा सकता है कि सरकार ने यदि शीघ्र कोई कदम नहीं उठाए तो अरहर दाल खेरुज में जल्दी ही 200 रुपए प्रति किलो बिक सकती है।