मलेशिया में पाम उत्पादन पर रोक से खाद्य तेलों में तेजी के आसार
जयपुर, 22 मार्च। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें गिरकर जहां 17 साल के निचले स्तर पर आ गई हैं, वहीं मलेशिया में पाम तेल के उत्पादन पर रोक लगने से भारत में खाद्य तेल फिर से उछलने लगे हैं। कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए मलेशिया ने हाल ही पाम बागानों में दो सप्ताह के लिए परिचालन बंद कर दिया है। इसी प्रकार राज्य के कोटा व बूंदी स्थित प्लांटों ने भी सोयाबीन रिफाइंड एवं सरसों तेल का उत्पादन लगभग बंद कर दिया है। परिणामस्वरूप खाद्य तेलों की आपूर्ति बाधित होने लगी है। बंदरगाहों से माल की आवाजाही बंद हो गई है। इन सभी कारणों से खाने के तेलों की सप्लाई लाइन टूटने लगी है, जिससे कीमतों में उफान आना तय है। चंबल सोयाबीन रिफाइंड तेल के वितरक रोहित तांबी ने बताया कि मलेशिया दुनिया में पाम तेल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। पाम की पैदावार पर रोक के कारण मार्च में मलेशिया के कच्चे तेल उत्पादन में तीन से सात लाख टन तक की कमी आ सकती है, ऐसा विश्लेषकों का कहना है।
खुले बाजार में सोयाबीन एवं सरसों तेल उछले
भारत दुनिया का सबसे बड़ा वनस्पति तेल आयातक है। तांबी ने कहा कि यदि आपूर्ति लंबे समय तक बाधित होती है तो भारत को इससे नुकसान होने की संभावना है। खाद्य तेल व्यापार से जुड़े अन्य सूत्रों का कहना है कि मलेशिया में सिर्फ दो सप्ताह ही परिचालन बंद रहता है तो कोई खास दिक्कत नहीं है, क्योंकि भारत के पास करीब एक माह का स्टॉक है और कुछ माल पाइपलाइन में है। मगर इसके बावजूद खुले बाजार में सोयाबीन तेल एवं सरसों तेल के भाव शनिवार को 50 रुपए प्रति टिन तक उछल गए। कोरोना वायरस के कारण जनता करफ्यू को देखते हुए अचानक डिमांड बढ़ने से रिटेलर्स ने तेलों के भाव बढ़ा दिए।
देश में हर माह 12.50 लाख टन तेल का आयात
प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत हर महीने करीब 19 लाख टन खाद्य तेल की खपत करता है। देश में 15 लाख टन पाम तेल बंदरगाहों पर और पाइपलाइन में है। देश में हर माह औसतन 12.50 लाख टन तेलों का आयात किया जाता है। बाकी जरूरत घरेलू उत्पादन से पूरी होती है। उधर चीन दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा खाद्य तेल आयातक है। चीन के पास सोयाबीन तेल का बड़ा भंडार है, लेकिन इस भंडार में कमी आनी शुरू हो चुकी है। यही वजह है कि वैश्विक स्तर पर खाद्य तेलों की आपूर्ति को लेकर चिंता सताने लगी है।